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हिन्दी टाइपिंग कैसे सीखी जा सकती है?




हिन्दी टाइपिंग सीखने के लिए आपको किन्हीं खास साधनों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। न ही इसे सीखने में ज्यादा वक्त लगता है। इसे प्रारम्भिक स्तर पर सीखने के लिए सिर्फ दो महीने ही काफी हैं। 

इसे सीखने के लिए सिर्फ और सिर्फ की-बोर्ड को लर्न (याद) करना है। की-बोर्ड सीखने में सिर्फ यह ही ध्यान देने वाली बात है कि कौन सी की कहाँ पर है। अर्थात् किस की के बगल में दायें अथवा बायें कौन सी की है। 

बाँयें हाथ से टाइप की जाने वाली कीज़ कौन सी हैं, तथा दाँयें हाथ से टाइप की जाने वाली कीज़ कौन सी हैं।

इसमें मुख्य रूप में हिन्दी अल्फावेट (वर्णमाला) के लिए मुख्य रूप से तीन लाइनें (राॅज़) होती है। इनमें से बिल्कुल मध्य की राॅ को होम-राॅ कहते हैं। बाकी दो लाइनें- एक इसके ठीक ऊपर और एक इसके ठीक नीचे होती हैं। जिसे ऐसे भी जाना जा सकता है जैसे-

1.
होम-राॅ के ऊपर वाली लाइन। 
2. होम-राॅ के नीचे वाली लाइन।

इन तीन लाइनों में अधिकतर पूरे वर्ण आ जाते है, इसके बाद तो कुछ ही वर्ण बच जाते हैं जैसे त्र, , रु, आदि। इसके अलावा कुछ मात्राएं नम्बर लाइन में आती है। जैसे हलन्त ( ् ), ऋ की मात्रा (  ृ ), विसर्ग (: ), उद्धरण चिन्ह ( ‘  ’ ), कुछ एक मात्राएं कोड द्वारा भी बनती हैं जैेसे- चन्द्रबिन्दु , आदि। लेकिन मुख्य रूप से इन तीन लाइनों को ही याद करना पड़ता है। 

अब बारी आती है प्रेक्टिस की। जितनी अधिक आप प्रेक्टिस (अभ्यास) करेंगे उतने अधिक आप टाइपिंग के क्षेत्र में कुशलता हासिल करेंगें। 

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लेकिन शुरु में सीखने के दौरान आपको धीरे धीरे अपनी उंगलियों को कीबोर्ड पर चलाना है। जिससे कि सही प्रकार से उंगलियाँ उन कीज़ की लोकेशन्स को याद रख सकें, उन पर पकड़ मजबूत बना सकें। 

पकड़ मजबूत बनाने का अर्थ है कि उन कीज की सही लोकेशन आपके ब्रेन (मस्तिष्क) पर ठीक प्रकार से छप जाए। ऐसा होने पर आपकी उगलियों अपने आप ही उठने लगती है और टाइपिंग में स्पीड आने लगती है।



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